मशरूम मेला वर्ष 1997 में प्रयोगात्मक स्तर पर शुरू किया गया था लेकिन आज यह उत्पादक वर्ग के लिए जाना पहचाना हो चुका है। किसानों व मशरूम उत्पदकों की प्रतिक्रया को देखते हुए खुम्ब अनुसंधान निदेषालय द्वारा इसे एक नियमित विस्तार गतिविधि के रूप में अपना लिया गया है । अब इसने राष्ट्रीय मशरूम मेले का रूप ले लिया है जिसमें देश के विभिन्न राज्यों से प्रतिभागी भाग लेते हैं।
खुम्ब अनुसंधान निदेषालय 10 सितम्बर को हर वर्ष मशरूम मेले का आयोजन करता है इस दिन सोलन को ’भारत का खुम्ब षहर’ घोषित किया गया था। यह भारत में अपनी तरह का पहला मेला है जो दिन प्रतिदिन लोकप्रिय होता जा रहा है। प्रत्येक वर्ष इस मेले में किसान, मशरूम उत्पादक, मशरूम उद्योग से जुड़े व्यक्ति व विस्तार कार्यकत्र्ता भारी संख्या में भाग लेते हैं।
स्पाॅन(खुम्ब बीज)/संवर्धन (कल्चर), बागवानी, कृषि उपकरण, बागवानी उत्पाद, तकनीकी साहित्य, सब्जियों के नवीनतम बीज इत्यादि की बिक्री इस मेले के अन्य आकर्षण है। हालांकि यह मेला मुख्यतः मशरूम पर है फिर भी कृषि से जुड़े विभाग व संस्थान, बागवानी, वित्त और अन्य गैर सरकारी संगठन भी अपनी प्रौधोगिकी को प्रदर्शित करते हैं व मौके पर ही सूचना, परामर्श इत्यादि प्रदान करते हैं। नवीनतम प्रौधोगिकयां का प्रदर्शन / विकसित प्रोधोगीकिओं को किसानों को दिखाया जाता है।
प्रतिभागियों के लाभ के लिए किसान गोष्ठी का आयोजन भी किया जाता है जिसमें मेले में आए हुए किसान, मशरूम उत्पादक, विपणन कार्मी और विस्तार कार्यकर्ता भाग लेते हैं व खुम्ब अनुसंधान निदेशालय के वैज्ञानिकों तथा अन्य संस्थानों के विशेषज्ञों द्वारा खुम्ब से संबंधित समस्याओं और अन्य मुद्दों पर आमने सामने बार्तालाप करते हैं। यह मशरूम मेला किसानों व मशरूम उत्पादकों के लिए उनकी समस्याओं के निराकरण के लिए मौके पर ही समाधान का एक उचित अवसर प्रदान करता है।